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✿ वार्षिक मेला ✿

श्री 1008 चंद्रप्रभु भगवान का जन्म कल्याणक एवं तप कल्याणक पौष कृष्णा एकादशी को भव्य पालकी जुलूस निकालकर, 108 कलशों से अभिषेक, पूजा करके मनाया जाता हैं। इसदिन ध्वजा चढाई जाती है तथा भंडारा होता हैं।

✿ पूर्णिमा ✿

हर माह की पूर्णिमा को भगवान का पंचामृत अभिषेक होता हैं। इसदिन यात्रियों के लिए अल्प-आहार की भी व्यवस्था होती हैं।

✿ शनि-अमावस्या ✿

हर माह की अमावस्या को भगवान का अभिषेक होता हैं और पंच-क्षेत्रपाल बाबा को तेल-शेंदूर लगाया जाता हैं। शनि-अमावस्या यानि की शनिवार के दिन आनेवाली अमावस्या को बहुत ही खास माना जाता हैं। (साल में मुश्किल से 1 या 2 शनि अमावस्या होती हैं।) इस अमावस्या का बडा महत्त्व होता हैं। शनि-अमावस्या को दूर-दूर से श्रावकगण विशाल संख्या में भगवान के दर्शन हेतू मांडल अतिशय क्षेत्रपर आते हैं। भगवान का अभिषेक करके, पंच-क्षेत्रपाल बाबाको तेल-शेंदूर लगाके पुण्य अर्जित करते हैं। (यह शेंदूर मंदिरजी में ही उपलब्ध होता हैं। बाहर से लाया हुआ शेंदूर स्वीकार नही किया जाता।) शनि-अमावस्या के दिन श्रावकों के द्वारा भंडारा(आहारदान) होता हैं।

कार्य प्रगति पथ पर है।